Tuesday, July 27, 2010

भारतीय शिक्षा प्रणाली....................विचार




















मैं
खुद ग्यारहवी कक्षा का छात्र हूँ..http://vicharvichar.blogspot.com/ और आज की भारतीय शिक्षा प्रणाली से सहमत नहीं हूँ...इस लेख द्वारा मैं अपने विचार आप सभी लोगों के समक्ष प्रस्तुत करना चाहता हूँ..मैं बताना चाहूँगा का इसमें स्कूली विध्यापकों का बहुत बड़ा हाथ है..कक्षा में आकर केवल विषय पर लम्बे लम्बे उपदेश देने की बजे उन्हें हमें केवल वह ज़रूरी बातें बतानी चाहिए जो हमे पता होनी चाहिए..कुछ सीखने या सीखने से पहले इंसान ते दिमाग को तयार किया जो तो वह बहुत जल्दी सीख जाता है इसलिए पढ़ाने से पहले बच्चों को उस विषय की महत्वता के बारे में बताया जाना चाहिए.फिर अगर परीक्षाओं की बात की जाए तो परीक्षाओं के नाम से बच्चे कांपने लगते हैं...लेकिन सभी की चिंता के कारण अलग अलग होते हैं...कुछ बच्चे इसलिए चिंतित होते हैं क्यूंकि वह इस परीक्षा के लिए तयार नहीं होते लेकिन कुछ अन्य होनहार छात्र इसलिए परेशान होते हैं क्यूंकि उनके माँ बाप व अन्य लोगों को उनसे बहुत उम्मीदें होती हैं ...इसी दबाव के कारण वे चिंतित होते हैं और कभी कभी बचों की खुदखुशी की खबरें भी सुनने को मिलती हैं...इसका उपाय यह है की आज कल अधिकतम छात्रों के पास मोबाइल फ़ोन है ...उन्हें उनके नतीजे एस एम् एस कर दिए जाने चाहियें ताकि बच्चों को कम अंक आने आने की वजह से बेईज्ज़ती न महसूस हो...एक हिंदी फिल्म में बिलकुल सही बात कही गयी है के मान लीजिये की आपको कोई भी बीमारी है तो डॉक्टर आपको दवाई देगा नाकि आकी बीमारी की खबर नोटिस बोर्ड पर लगाएगा....तो दोस्तों समय है जागने का और कुछ कर दिखने के....आप कमेन्ट कीजिये और बताईये अगर आप मुझसे सहमत हैं और आपने इसके लिए क्या किया..

साहिल गोयल

8 comments:

  1. बेहतर प्रस्‍तुति के लिए पालकों का दबाब उचित नहीं है किन्‍तु चाह कर भी पालक अपने आप को इससे निजात नहीं दिला पाते, पिसते बच्‍चे ही हैं.

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  2. bhaai aap shi ho skte hen lekin men aapki baaton se is liyen shmt nhin hun ke sbhi ko yhaan pdhnaa chaahiye kese pdhen yeh bchchon ki style he lekin ghr men agr maan baap sbhi suvidhaayen de saari khvaahishen puri kren to fir bhi agr bchche km nmbr laaayen to aese bchchon ko smjhaana to pdhegaa hi. akhtar khan akela kota rajsthan

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  3. बिल्कुल सही कहा!

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  4. Akhtar Khan Akela ji आपने ठीक कहा है लेकिन में कहना ये चाहता हु के इतना ज्यादा प्रेशर मत डालो के अगर बच्चा फेल या कम नंबर से पास होता है तो वो माता पिता के सामने आने से अच्छा किसी और स्थान को समझ कर चला जाए !
    हर बच्चे के अपने गुण होते है उसे पहचानो और उसी रस्ते पर उससे चलने दो !

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